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लेखनी प्रतियोगिता -10-Mar-2022 खिलाडी़

         "मदन तुम्है कितनी बार समझाया है कि कुछ पढ़ लिया करो लेकिन मेरी बात तू सुनता ही नही है।केवल खेलने से नौकरी नही मिलजाती है। पढ़ने पर भी फोकस करो।"   मदन के पापा ने उसे समझाते हुऐ कहा।


        "आप तो मेरे बेटे के पीछे ही पडे़ रहते हो जब उसका मन खेलने को करता है यदि वह कुछ देर दोस्तौ के साथ खेल लेता है तब आपका क्या लेता है। "  मदन की मम्मी ने उसका पक्ष रखते हुए कहा।

        "भाग्यवान आजकल बिना अच्छे नम्बरौ के कोई भी हाथ  नही रखने देता है। तुम आज तो इसकी फेवर में खडी हो  कल तुमभी दूर नजर आओगी। आज जो मेरी बात तुम दोनौ को बुरी लग रही है कल अच्छी लगेगी। ",उसके पापा ने समझाते हुए कहा।

          धर्मपाल एक स्कूल मे सरकारी अध्यापक थे। उनका
 मदन अकेला बेटा था। वह पढ़ने से अधिक खेलने में अपना समय लगाता था। उसकी इस आदत से उसके पापा बहुत परेशान रहते थे। वह उसे हमेशा पढने के लिए शिक्षा देते थे। परन्तु उसका मन पढ़ने में कम खेल में अधिक लगता था।

         मदन की मम्मी उसके साथ खडी़ नजर आती थी। वह इसके लिए अपने पति से भी लड़ जाती थी।वह मदन के साथ खडी रहती थी।

       मदन्  की सबसे ज्यादा रूचि क्रकेट खेलने में थी। वह खेल केलिए खाना तक त्याग देता था। उसने लकडी़ काटकर बैट बनवा लिया था क्यौकि उसके पापा उसे बैट खरीदने के लिए पैसे नही देते थे।

      उसने अपने गाँव में ही टीम बनाली थी। वह उनके साथ प्रक्टिस करता था।

        मदन ने  धीरे धीरे  अपने स्कूल के छात्रौ को भी अपने साथ मिला लिया। अब उसकी इतनी रूची देखकर उसके स्कूल के टीचर भी उसके साथक्षखडे  होगये।  इस तरह उनकी एक टीम बनगयी। 

          अब मदन को उस टीम का कैप्टन बना दिया गया। जब वह बाहर खेलने जाने लगा तब उसकी पढाई बहुत कम होगयी।

        इस तरह मदन अपनी टीम को लेकर बाहर जाता और वहाँ से जीतकर आता था।

         मदन को क्रकेट  की कोचिग देने वाला कोच भी मिल गया। सभी छात्रौ ने मिलकर कोच को फीस देना शचरू कर दिया और इस तरह वह अपने जिले से बाहर खेलने जाने लगा।

        अब मदन के पापा ने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया जिससे उसे अब पैसे की परेशानी भी नही आती थी।  मदन का स्टेट लेवल की टीम में सलैक्शन हो गया जिससे उसे बहुत खुशी हुई। इस प्रकार मदन ने अपने महनत से यह मुकाम हासिल कर लिया और वह एक राष्ट्रीय खिलाडी़ बन गया।

           मदन की माँ अपने पति से बोली," अब आपने देख लिया मदन को। तब मेरी बात का आपको विश्वास ही नही होता था कि यह एक दिन अच्छा खिलाडी़ बनजायेगा।।"

      मदन के पापा बोले  " हाँ उस समय मै ही गलत था। लेकिन मेरी मजबूरी थी। मै उसका भविष्य खराब नही करना चाहता था। इसी लिए नाराज होता था।

        माता पिता  को अपने  बच्चौ   पर  कोई बात थोपनी नही चाहिए बच्चौ की प सन्द का  भी ध्यान रखना चाहिए। कोई ब

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9 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Mar-2022 04:53 PM

बहुत बेहतरीन रचना पर अधूरी रह गई है शायद

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Rakhi mishra

11-Mar-2022 04:49 PM

nice but last line incomplete hai

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Abhinav ji

11-Mar-2022 08:52 AM

Nice

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Naresh Sharma "Pachauri"

11-Mar-2022 02:57 PM

धन्यवादजी

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